कितनी दूर तक जाना है
कौन सी मंजिल है मेरी
कहाँ मेरा ठिकाना है
कितना भटका राही हूँ मैं
कि हर राह का इक फ़साना है
किसी मोड़ पर कुछ खोना है
किसी मोड़ पर कुछ पाना है
कोई बात दे मुझे ज़रा
कौन सा सफ़र है आखिरी
कहाँ ख़्वाहिशों को चैन आए
किस मुकाम को गले लगाना है.....?
Pragya Chakrapani
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