मुझ पर कृपा करो कृष्णा
अंतर्मन के चक्षु जगाकर
अज्ञान हरो कृष्णा
हरो मेरी मृगतृष्णा
कृष्णा कृष्णा कृष्णा ।
तुम सर्वस्व हो सुखथाम हो
तुम कर्म हो विश्राम हो
तुम ही चारों धाम हो
तुम सृष्टि का आयाम हो
हरो मेरी मृगतृष्णा
कृष्णा कृष्णा कृष्णा ।
तुम सबकी लाज बचाते
तुम सबको राह दिखाते
मेरी नैया डोल रही है
तुम पार करो कृष्णा
हरो मेरी मृगतृष्णा
कृष्णा कृष्णा कृष्णा ।
प्रज्ञा चक्रपाणी