Monday, October 11, 2021

कृष्णा

मैं निरीह प्राणी 
मुझ पर कृपा करो कृष्णा 
अंतर्मन के चक्षु जगाकर 
अज्ञान हरो कृष्णा 
हरो मेरी मृगतृष्णा 
कृष्णा कृष्णा कृष्णा ।

तुम सर्वस्व हो सुखथाम हो
तुम कर्म हो विश्राम हो 
तुम ही चारों धाम हो
तुम सृष्टि का आयाम हो 
हरो मेरी मृगतृष्णा 
कृष्णा कृष्णा कृष्णा ।

तुम सबकी लाज बचाते 
तुम सबको राह दिखाते 
मेरी नैया डोल रही है 
तुम पार करो कृष्णा 
हरो मेरी मृगतृष्णा 
कृष्णा कृष्णा कृष्णा ।

                                 प्रज्ञा चक्रपाणी

अनामिका

शीतल सरल शालिनी सी तुम, चम चम चमकती चाँदनी सी।  तारों की ओढ़नी ओढ़े यामिनी, या कुसुमों सी महकती कामिनी।  मंदिर में गूँजती आर...