Wednesday, September 1, 2021

चाहूँ बस मैं

यूँ तो अरमान हैं 
दिल में कईं हज़ार 
पर एक तमन्ना लेती 
हिलौरे बार बार 
कि जाना चाहूँ बस मैं 
क्षितिज के उस पार।

उम्मीदों के भंवर में 
डूबा सारा संसार 
आती है कभी-कभी 
दिल से मेरे पुकार 
कि छूना चाहूँ बस मैं 
आसमान एक बार।

लेन देन की इस दुनिया में 
रिश्तों का होता व्यापार 
बहुत रिझा लिया सबको 
सोच रही हूँ अबकी बार 
कि करना चाहूँ बस मैं 
इक बार खुद से प्यार।
                                   प्रज्ञा चक्रपाणी


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