दिल में कईं हज़ार
पर एक तमन्ना लेती
हिलौरे बार बार
कि जाना चाहूँ बस मैं
क्षितिज के उस पार।
उम्मीदों के भंवर में
डूबा सारा संसार
आती है कभी-कभी
दिल से मेरे पुकार
कि छूना चाहूँ बस मैं
आसमान एक बार।
लेन देन की इस दुनिया में
रिश्तों का होता व्यापार
बहुत रिझा लिया सबको
सोच रही हूँ अबकी बार
कि करना चाहूँ बस मैं
इक बार खुद से प्यार।
प्रज्ञा चक्रपाणी
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