Tuesday, February 21, 2023

अनामिका

शीतल सरल शालिनी सी तुम,
चम चम चमकती चाँदनी सी। 

तारों की ओढ़नी ओढ़े यामिनी,
या कुसुमों सी महकती कामिनी। 

मंदिर में गूँजती आरती सी तुम,
भक्तों की भावना और आस्था सी। 

द्वार पर सजी हो जैसे दीपिका,
या सुरों में पिरोई हुई कोई गीतिका। 

तुम पूजा सी आराधना सी तुम,
गहन चिंतन में लिप्त साधना सी। 

झर झर बहती हुई तुम निर्झरा,
तुम स्थिर शांत जैसे हो वसुंधरा। 

नारी जितने रूप उतने नाम तुम्हारे,
हर नाम में छिपी एक अनामिका तुम। 

प्रज्ञा चक्रपाणि

अनामिका

शीतल सरल शालिनी सी तुम, चम चम चमकती चाँदनी सी।  तारों की ओढ़नी ओढ़े यामिनी, या कुसुमों सी महकती कामिनी।  मंदिर में गूँजती आर...