Tuesday, February 21, 2023

अनामिका

शीतल सरल शालिनी सी तुम,
चम चम चमकती चाँदनी सी। 

तारों की ओढ़नी ओढ़े यामिनी,
या कुसुमों सी महकती कामिनी। 

मंदिर में गूँजती आरती सी तुम,
भक्तों की भावना और आस्था सी। 

द्वार पर सजी हो जैसे दीपिका,
या सुरों में पिरोई हुई कोई गीतिका। 

तुम पूजा सी आराधना सी तुम,
गहन चिंतन में लिप्त साधना सी। 

झर झर बहती हुई तुम निर्झरा,
तुम स्थिर शांत जैसे हो वसुंधरा। 

नारी जितने रूप उतने नाम तुम्हारे,
हर नाम में छिपी एक अनामिका तुम। 

प्रज्ञा चक्रपाणि

Sunday, December 11, 2022

नारी

भरी सभा में मौन खड़ी क्यों 
कोई नहीं यह जान सका ।
क्या दर्द छिपाए है भीतर 
कोई ना यह पहचान सका ।
उसकी शक्ति का मूल्यांकन 
तुम कैसे कर पाओगे ?
कष्ट सहे और जन्म दिया तुम्हें 
कैसे यह कर्ज चुकाओगे ?
अपने अहं के मद में तुम 
क्यों उसकी बलि चढ़ाते हो ?
औरत हो तो सहना सीखो 
क्यों हर बार यही दोहराते हो ?
दुर्योधन और दुशासन बन 
क्यों उसकी लाज चुराते हो ?
नवदुर्गा की पूजा कर फिर 
काहे का ढोंग रचाते हो ?
नारी शक्ति है नारी भक्ति है 
जीवन का आधार है ।
नारी बिना है सॄजन अधूरा 
अपूर्ण यह संसार है ।
अर्धनारीश्वर का रूप धर 
शिव ने सबको यह ज्ञान दिया ।
ब्रहमाजी ने सृष्टि रची तो 
पहले माया को मान दिया ।
नारी पुरुष में भेद करो ना 
दोनों एक समान हैं ।
नारी का सम्मान करो तुम 
यही पुरुषत्व की पहचान है ।
                                             प्रज्ञा चक्रपाणी  

Saturday, December 3, 2022

कोई बता दे




कितने फ़ासले तय करने हैं

कितनी दूर तक जाना है
कौन सी मंजिल है मेरी
कहाँ मेरा ठिकाना है
कितना भटका राही हूँ मैं
कि हर राह का इक फ़साना है
किसी मोड़ पर कुछ खोना है
किसी मोड़ पर कुछ पाना है
कोई बता दे मुझे ज़रा
कौन सा सफ़र है आखिरी
कहाँ ख़्वाहिशों को चैन आए
किस मुकाम को गले लगाना है.....?


Pragya Chakrapani




Monday, October 11, 2021

कृष्णा

मैं निरीह प्राणी 
मुझ पर कृपा करो कृष्णा 
अंतर्मन के चक्षु जगाकर 
अज्ञान हरो कृष्णा 
हरो मेरी मृगतृष्णा 
कृष्णा कृष्णा कृष्णा ।

तुम सर्वस्व हो सुखथाम हो
तुम कर्म हो विश्राम हो 
तुम ही चारों धाम हो
तुम सृष्टि का आयाम हो 
हरो मेरी मृगतृष्णा 
कृष्णा कृष्णा कृष्णा ।

तुम सबकी लाज बचाते 
तुम सबको राह दिखाते 
मेरी नैया डोल रही है 
तुम पार करो कृष्णा 
हरो मेरी मृगतृष्णा 
कृष्णा कृष्णा कृष्णा ।

                                 प्रज्ञा चक्रपाणी

Monday, September 20, 2021

Boredom

What should I do 
When I have nothing to do 
Sitting idle listening to the clock 
No ideas, my mind gets block 
I pick my phone and just scroll 
Then I try my hand on the remote
But nothing actually works
These are useless antidotes 
What I want 
I just can't find out 
Neither want to sit back
Nor wish to go out
I don't want to talk 
I don't want to fight 
I think I need a hug 
By someone really tight...

                                      Pragya Chakrapani 

Wednesday, September 15, 2021

keep Going

        Some days you feel you are at the height 
  The other day my friend, you can be
                      Out of the sight.
You will find someone better at every turn 
But need not worry you will get to learn 
Continue with your search for hidden treasure 
At the end of the day my friend, you will surely 
                     Get the pleasure. 
Life is a game of snakes and ladders 
Winner will be the one who performs better 
Never lose hope everything will be fine
Remember my friend, after every cloudy day 
               There is a ray of sunshine. 

Pragya Chakrapani 

Monday, September 13, 2021

Being Blissful

Deep inside our heart
Someone definitely resides
Who keeps telling us 
What's wrong and what's right .

Either we listen or we deny
Its completely our choice
But that unknown sound 
Is known as inner voice.

Thoughts flowing in a queue 
Keep intangling our mind
Though the thoughtless state
Somewhere still lies behind .

We need to connect with the innerself 
The magic then, we just can't miss 
The peaceful state is attained 
And emerges the fountain of bliss. 

While commencing this journey 
The sorrow easily drains 
We listen the sound of silence 
And the bliss alone reigns. 

                                          Pragya Chakrapani 


अनामिका

शीतल सरल शालिनी सी तुम, चम चम चमकती चाँदनी सी।  तारों की ओढ़नी ओढ़े यामिनी, या कुसुमों सी महकती कामिनी।  मंदिर में गूँजती आर...